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अयोध्या श्री राम आरती के बोल:
जय रघुनंदन जय सिया के लाला।
जय रघुनंदन जय सिया के लाला॥
आरती कुंज बिहारी की,
श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की॥
गल में बैजयंती माला,
बजावत मृदंग अरु ताला।
बजावत मृदंग अरु ताला॥
आरती कुंज बिहारी की,
श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की॥
श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की।।
श्री यमुना जी की आरती,
जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी,
सुख सम्पति पावै।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साकी गौरीसा।।
तुलसीदास जी की आरती,
जो कोई नर गावै।
हरि अंत में प्रेम बसे,
ताके भवबंधन काटे।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साकी गौरीसा।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साकी गौरीसा।।
ये भगवान श्री राम की आरती के बोल हैं, जो अक्सर पूजा और भक्ति सभाओं के दौरान गाए जाते हैं।
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यहाँ श्री रामचंद्र कृपालु भजमन आरती के हिंदी में शब्द हैं:
श्री रामचंद्र कृपालु भजमन, हरण भवभय दारुणम्।
नवकंज लोचन, कंज मुखकर, कंज पद कंजारुणम्॥
कंदर्प अगणित अमित छवि, नव नील नीरज सुंदरम्।
पटपीत मानहुं तड़ित रूचि-शुची नौमि जनक सुतावरम्॥
भजु दीन बंधु दिनेश दानव, दैत्यवंशनिकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कोशल, चंद दशरथ नंदनम्॥
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु, उदारु अंग विभूषणम्।
आजानुभुज शर चापधर, संग्राम-जित-खरदूषणम्॥
इति वदति तुलसीदास शंकर, शेष मुनि मन रंजनम्।
मम हृदयकंज निवास कुरु, कामादि खलदलगंजनम्॥
राजा राम जी की आरती "उतारू रे सखी" का पूरा शब्द निम्नलिखित है:
उतारू रे सखी साँवरिया जी की
आरती माई ज्यों विनधल नी की
भावयु सखिया माँग धनिया की
चिमन चिमन चि म चि म चि चिंगारि
सोन सोना राजा राम जी की आरती उतारू रे सखी
मुख में अंगुर गले में कंठी
अठैया पुरखांचा भूषण बन्धी
चिमन चिमन चि म चि म चि चिंगारि
सोन सोना राजा राम जी की आरती उतारू रे सखी
कुंडल कुंडल नूपुर पैर में
अंग अंग अंग अंग में हीर में
चिमन चिमन चि म चि म चि चिंगारि
सोन सोना राजा राम जी की आरती उतारू रे सखी
आरती कीजै माँग धनिया चाँदी की
जिसको देखी रंग महल में माँगी
चिमन चिमन चि म चि म चि चिंगारि
सोन सोना राजा राम जी की आरती उतारू रे सखी
राजा राम जी की आरती को उतारू रे सखी
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