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नवरात्रि आरती: आदि शक्ति की पूजा
नवरात्रि भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे आदि शक्ति की पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर नवदुर्गा की आराधना के लिए आरतीयाँ गाई जाती हैं। नवरात्रि आरती का गाना शक्ति की महिमा और उसके दिव्यता को स्तुति के रूप में व्यक्त करता है। यहाँ हम आपके लिए नवरात्रि आरती के लिरिक्स प्रस्तुत कर रहे हैं:
"नवरात्रि की शक्ति: आरतीयों का महत्व" आदि शक्ति की स्तुति: नवरात्रि आरती |
जय अम्बे गौरी
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवजी॥
माँ जय अम्बे गौरी॥
मंग सिंदूर विराजत, टिको मृगमद को।
उज्जवल सेवध्वज बिराजे, कानन कुंडल शोभित ना जो॥
माँ जय अम्बे गौरी॥
श्वेत गज मुक्ता प्रदशान, वर मुकुट धरी।
वृजराज नारां मुखरी, वण्डे ताँडव नृत्य करी॥
माँ जय अम्बे गौरी॥
ब्रह्म्हाणी रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पत्राणी॥
माँ जय अम्बे गौरी॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंग अरु बाजत दमरू॥
माँ जय अम्बे गौरी॥
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
माँ जय अम्बे गौरी॥
भुजा चार अति शोभित, वर मुद्राधारी।
मनवांचित फल पावत, सेवत नर नारी॥
माँ जय अम्बे गौरी॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्री मालकेतु में राजत, कोटियन राजत खाती॥
माँ जय अम्बे गौरी॥
श्री अम्बिका जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥
माँ जय अम्बे गौरी॥
नवरात्रि की आरती के गाने से भक्त आदि शक्ति की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति करते हैं। यह आरती उनके मन में शांति, शक्ति और समृद्धि की भावना को जगाती है। नवरात्रि के इस महान उत्सव में आरती की गायन ध्यान और श्रद्धा के साथ किया जाता है, जो आदि शक्ति की कृपा को प्राप
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jaymatadi
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